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Unique Festivals of Odisha: Dola Purnima and Holi || ओडिशा के अद्वितीय त्योहार: दोला पुर्णिमा और होली

March 26, 2024 | by cultureodisha.com

ओडिशा के अद्वितीय त्योहार: दोला पुर्णिमा और होली

Why do people of Odisha consider Dola Purnima and Holi festivals so special? || ओडिशा के लोग दोला पुर्णिमा और होली का त्यौहार इतना स्पेशल क्यों मानते हैं?

ओडिशा एक धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर से समृद्ध प्रदेश है। यहां के लोग अपने त्योहारों को गहराई से मानते हैं और उन्हें उत्सव के रूप में मनाते हैं। इस प्रकार, ओडिशा के दोला पुर्णिमा और होली त्योहार लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण। दोला पुर्णिमा, एक हिंदू झूला उत्सव है, जो फाल्गुन की पूर्णिमा की रात को राधा और कृष्ण का जश्न मनाता है।यह पूर्णिमा की रात, या फाल्गुन महीने के पंद्रहवें दिन पड़ता है, और ज्यादातर गोपाल समुदाय द्वारा मनाया जाता है।

ओडिशा के लोग दोला पुर्णिमा और होली का त्यौहार इतना स्पेशल क्यों मानते हैं
ओडिशा के लोग दोला पुर्णिमा और होली का त्यौहार इतना स्पेशल क्यों मानते हैं

There is a special combination of religious rituals || धार्मिक अनुष्ठानों का खास मेल होता है।

दोला पुर्णिमा का महत्व राधा वल्लभ और हरिदासी संप्रदाय में, जहां उत्सव शुरू करने के लिए राधा कृष्ण की मूर्तियों की पूजा की जाती है और उन्हें रंग और फूल दिए जाते हैं, यह त्योहार भी बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है। गौड़ीय वैष्णववाद में, यह घटना और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह चैतन्य महाप्रभु के जन्म का प्रतीक है, जिन्हें राधा और कृष्ण का संयुक्त अवतार माना जाता है। वह एक प्रसिद्ध दार्शनिक और संत थे जिन्होंने भारत में भक्ति आंदोलन के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने गौड़ीय वैष्णववाद की परंपरा की भी स्थापना की।

Dola Purnima: Symbol of religion and harmony || दोला पुर्णिमा: धर्म और समरसता का प्रतीक

ओडिशा में, दोला पुर्णिमा को ‘ दोला जात्रा’ के नाम से जाना जाता है। यह उत्सव फाल्गुन मास के दशमी तिथि से शुरू होता है और छः दिन तक चलता है। इसका आयोजन ग्राम देवताओं, खासकर भगवान कृष्ण की मूर्ति के साथ होता है। उत्सव की शुरुआत में, गाँव के सभी घरों में भगवान कृष्ण की मूर्ति को एक सुसज्जित वीमना (पालकी) पर सजा-सजाकर ले जाया जाता है। उसके पीछे लोग अबीरा (सूखे रंग) पहने होते हैं और जुलूस के नेतृत्व में ढोल वादक, पिपर्स, और ‘संकीर्तन मंडलियों’ द्वारा किया जाता है। जुलूस प्रत्येक घर के सामने रुकता है और देवता को ‘भोग’ लगाया जाता है।

विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा || World Famous Car Festival

अनासर रीति || Anasara Reeti

भगवान अलारनाथ || Bhagaban Alarnath

देबस्नान पूर्णिमा || Debasnan Purnima

रज पर्व || Raja Festival

दोला पुर्णिमा के अंतिम दिन, उत्सव का समापन देवताओं के लिए झूले-उत्सव के साथ होता है। कई गाँवों से वाहनों में लाई गई मूर्तियाँ एक महत्वपूर्ण स्थान (मेलाना पाडिया) में एकत्रित होती हैं जहाँ एक मंच पर झूले लगाए जाते हैं और उन्हें कोरस में गाए जाने वाले भक्ति संगीत की संगत में झुलाया जाता है। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, जो व्यक्ति झूले में झूलते हुए कृष्ण की एक झलक देख लेता है, उसके सभी पापों का प्रायश्चित हो जाता है।

Odisha’s special Holi festival: A plethora of colors || ओडिशा का खास होली उत्सव: रंगों की भरमार

होली, भारतीय समाज का एक प्रमुख और पसंदीदा उत्सव है जो साल के चारों ओर धमाल मचा देता है। रंगों का खेल, गाने, नाचे, और परिवारिक मिलन-संगत की यह धूमधाम से भरी रात हर किसी को अपनी ओर खींच लेती है। भारत के हर कोने में होली का उत्सव अपने अंदाज़ में मनाया जाता है, लेकिन ओडिशा में होली का अपना एक खास अंदाज़ है, जो उसे अन्य उत्सवों से अलग बनाता है। इस लेख में, हम ओडिशा के विशेष होली उत्सव पर ध्यान देंगे, उसकी विशेषताओं को समझेंगे, और इसके पीछे छिपी रोमांचक कहानी को जानेंगे।

Significance of Holi festival || होली उत्सव का महत्व:

होली का उत्सव वसंत ऋतु का प्रारंभ करता है, जो भारतीय संस्कृति में नए आरंभ की शुरुआत को संकेतित करता है। यह उत्सव न केवल रंगों का खेल है, बल्कि समाज में एकता, स्नेह, और प्रेम की भावना को उत्तेजित करता है। ओडिशा में होली को ‘ दोला पूर्णिमा’ के रूप में भी जाना जाता है, जो उत्सव को और भी अनूठा बनाता है।

Specialty of Odisha || ओडिशा की विशेषता:

ओडिशा के होली का उत्सव विशेष रूप से धार्मिक और सांस्कृतिक तहबल रखता है। यहां के लोग भगवान कृष्ण की पूजा और स्मरण के साथ होली का उत्सव मनाते हैं। इसके अलावा, ओडिशा में होली को दोला पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, जो उसे अन्य स्थानों से अलग बनाता है। दोला पूर्णिमा का महत्वपूर्ण पौराणिक और धार्मिक विचार होता है, जो उसे ओडिशा के लोगों के लिए और भी विशेष बनाता है।

Religious and cultural significance || धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व:

ओडिशा में होली को दोला पुर्णिमा के रूप में जाना जाता है, जो कृष्ण भगवान के साथ खेला जाता है। दोला पूर्णिमा के दिन, लोग भगवान कृष्ण की मूर्ति को धार्मिक पूजा अर्चना के साथ यात्रा करते हैं। यह उत्सव ध्यान और आदर्श को स्थापित करता है, और समाज में एकता और समरसता की भावना को मजबूत करता है।

Conclusion || निष्कर्ष:

ओडिशा का दोला पुर्णिमा त्योहार हमें प्रेम और भक्ति के महत्व को याद दिलाता है। इस अद्वितीय पर्व के तहत, लोग एक-दूसरे के साथ प्रेम और समरसता का संदेश बाँटते हैं और उत्सव का आनंद लेते हैं। दोला पुर्णिमा का उत्साह हमें हमारी संस्कृति और परंपराओं को समझने और मनाने का मौका देता है।

 

FAQ

Q-1 उड़ीसा में होली कैसे मनाई जाती है?

उड़ीसा में होली विशेषतः बरसाना और नटखाइ रूप में मनाई जाती है। यहाँ लोग गायन, नृत्य, और गुलाल के साथ राधा-कृष्ण के प्रेम का उत्सव करते हैं। प्रसिद्ध मंदिरों में भी धार्मिक आराधना के साथ होली का त्योहार मनाया जाता है।

Q-2 हम डोला पूर्णिमा क्यों मनाते हैं?

हम डोला पूर्णिमा को भगवान कृष्ण और राधा के प्रेम के प्रतीक के रूप में मनाते हैं। यह उत्सव हमें प्रेम और एकता के संदेश को याद दिलाता है। इस दिन हम उनके दिव्य संवादों को स्मरण करते हैं और उनके आदर्शों का अनुसरण करते हैं। डोला पूर्णिमा हमें भगवान के साथ निकटता और भक्ति का महत्व समझाता है, और हमें सामाजिक एकता और समरसता की दिशा में प्रेरित करता है।

Q-3 डॉल पूर्णिमा और होली में क्या अंतर है?

डोल पूर्णिमा और होली दोनों ही हिंदू त्योहार हैं, लेकिन उनमें कुछ अंतर हैं। डोल पूर्णिमा भगवान कृष्ण और राधा के प्रेम का प्रतीक है, जबकि होली प्रहलाद और हिरण्यकश्यप के कथात्मक युद्ध का उत्सव है। डोल पूर्णिमा में लोग रंग, गीत और नृत्य का आनंद लेते हैं, जबकि होली में रंगों का उत्सव होता है। डोल पूर्णिमा वसंत ऋतु के मध्य में मनाई जाती है, जबकि होली फागुन पूर्णिमा को मनाई जाती है।

Q-4 होली के त्यौहार का क्या महत्व है?

होली का त्यौहार भारतीय सांस्कृतिक विरासत में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह वसंत ऋतु का प्रारंभ मनाते हुए खुशियों और उत्साह का प्रतीक है। इस दिन लोग अपने दुख-सुख को भूलकर एक-दूसरे के साथ प्यार और खुशियों का उत्सव मनाते हैं। होली का त्यौहार समरसता, भाईचारा, और सामाजिक एकता का संदेश देता है। यह धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह प्रहलाद की विजय और हिरण्यकश्यप के अहंकार का अंत का प्रतीक है।

Q-5 उड़ीसा का सबसे बड़ा त्यौहार कौन सा है?

उड़ीसा का सबसे बड़ा त्यौहार “रथयात्रा” है। यह भगवान जगन्नाथ के त्रिरथमी रथयात्रा है जो पुरी नगरी में मनाया जाता है। इस त्यौहार में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, और सुबद्रा की रथों पर यात्रा की जाती है, जिसमें लाखों भक्त भाग लेते हैं। रथयात्रा को उड़ीसा की सबसे प्रतिष्ठित और महत्वपूर्ण पर्वों में से एक माना जाता है और यह भगवान जगन्नाथ के भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र और मान्यताओं से भरा होता है।

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