ओडिशा एक ऐसा राज्य है, जहाँ “१२ महीनों में १३ त्योहार” मनाने की परंपरा है। इन्हीं त्योहारों में से एक महत्वपूर्ण त्योहार है कुमार पूर्णिमा। यह त्यौहार शरद ऋतु में अश्विन माह की पूर्णिमा के दिन बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इसे कुमार कार्तिकेय के जन्मोत्सव के रूप में भी जाना जाता है, जो शिव और पार्वती के पुत्र तथा युद्ध के देवता माने जाते हैं।
कुमार पूर्णिमा का उल्लेख पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में मिलता है, जिसमें इसे कार्तिकेय के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन युवा लड़कियां भगवान कार्तिकेय जैसे आदर्श पति की कामना करते हुए विशेष पूजा-अर्चना करती हैं।
त्यौहार के दिन सूर्योदय से पहले ही युवा लड़कियां स्नान कर नए वस्त्र धारण करती हैं और सूर्यदेव की पूजा करती हैं। वे नारियल, केला, गन्ना, और विभिन्न फलों से सजी थाली, जिसे ‘कुला’ कहा जाता है, लेकर सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करती हैं। शाम के समय, चंद्रदेव की पूजा की जाती है, और फल, दही, तथा गुड़ से बने ‘चंदा चकता’ के रूप में प्रसाद चढ़ाया जाता है। यह पारंपरिक भोजन अनुष्ठान का महत्वपूर्ण भाग होता है।
Mahalaya Amavasya || महालया अमावस्या
Raktirtha Eram || रक्ततीर्थ इरम
Suniya – An important festival of Puri Dham||सुनिया – पुरी धाम का एक महत्वपूर्ण त्यौहार
कुमार पूर्णिमा का मुख्य आकर्षण चंदा चकता है, जिसे अर्धचंद्राकार कुला में रखकर चंद्रमा को अर्पित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो कन्याएं इस दिन चंद्रमा के दर्शन करती हैं, उन्हें सुंदर और आदर्श जीवनसाथी मिलता है। इस त्योहार से जुड़ी लोककथाओं में यह भी कहा जाता है कि जो कन्या सबसे पहले चाँद को देखती है, उसका पति युवा और आकर्षक होता है। इस विश्वास के कारण लड़कियां एक-दूसरे से पहले चाँद देखने का प्रयास करती हैं।
कुमार पूर्णिमा के दिन ओडिशा की युवतियां पारंपरिक खेल खेलती हैं, जिनमें प्रमुख खेल ‘पुची’ होता है। यह एक प्रकार का खेल है जिसमें उकडू स्थिति में खड़े होकर एक पैर से दूसरे पैर पर तेज़ी से वजन संतुलित किया जाता है। इसके अलावा ‘बोहू-बोहुका’ और ‘बीसा-अमृता’ जैसे खेल भी खेले जाते हैं। ओडिसी नृत्य, लोकगीत, और ‘दशावतार’ की प्रस्तुतियां इस दिन के सांस्कृतिक उत्सव का हिस्सा होती हैं।
कुमार पूर्णिमा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि ओडिशा की सांस्कृतिक धरोहर और सामाजिक एकजुटता का भी द्योतक है। यह त्योहार हमें हमारी परंपराओं, लोककथाओं, और जीवन के मूल्यों से जोड़ता है। यह दिनभर की थकान और दैनिक जीवन की चिंताओं को भूलाकर परिवार और समाज के साथ आनंद लेने का अवसर प्रदान करता है।
कुमार पूर्णिमा ओडिशा की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का एक अभिन्न हिस्सा है। यह त्यौहार न केवल भगवान कार्तिकेय की पूजा और आदर्श जीवनसाथी की कामना के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है, बल्कि ओडिशा की समृद्ध परंपराओं, सामाजिक एकजुटता और पारिवारिक आनंद का भी प्रतीक है। लोककथाओं, खेलों और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से यह उत्सव पीढ़ियों से चली आ रही परंपराओं को संजोने और अगली पीढ़ी तक पहुँचाने का कार्य करता है। इस प्रकार, कुमार पूर्णिमा एक ऐसा त्योहार है, जो हमें आस्था, आनंद और सामाजिकता के महत्त्व का एहसास कराता है।
FAQ
Q-1 Which God is Worshipped in Kumar Purnima? || कुमार पूर्णिमा पर किस भगवान की पूजा की जाती है?
कुमार पूर्णिमा के दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है, जो वीरता और शक्ति के प्रतीक माने जाते हैं। उन्हें कुमार स्वामी के नाम से भी जाना जाता है और यह पर्व उनके जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। खासकर ओडिशा में, अविवाहित लड़कियाँ भगवान कार्तिकेय से अच्छे वर की कामना करती हैं और विवाहित महिलाएँ अपने पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करती हैं। इसके साथ ही, चंद्रमा की भी पूजा की जाती है, क्योंकि चंद्रदेव को सुंदरता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस दिन व्रत, पूजा और खेलकूद का आयोजन भी होता है।
Q-2 Why do girls celebrate Kumar Purnima? || लड़कियाँ कुमार पूर्णिमा क्यों मनाती हैं?
कुमार पूर्णिमा अविवाहित लड़कियों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इस दिन वे भगवान कार्तिकेय से अच्छे वर की कामना करती हैं। भगवान कार्तिकेय, जिन्हें कुमार स्वामी भी कहा जाता है, वीरता, सौंदर्य और शक्ति के प्रतीक हैं। लड़कियाँ इस दिन उपवास रखती हैं और चंद्रमा व कार्तिकेय की पूजा करती हैं, ताकि उन्हें योग्य जीवनसाथी प्राप्त हो। ओडिशा में, यह पर्व विशेष रूप से धूमधाम से मनाया जाता है, जहाँ लड़कियाँ पारंपरिक खेलों और नृत्य में भाग लेती हैं। यह दिन उनके भविष्य के लिए शुभकामनाएँ और आशीर्वाद पाने का अवसर माना जाता है।
Q-3 What is the tradition of Kumar Purnima? || कुमार पूर्णिमा की परंपरा क्या है?
कुमार पूर्णिमा की परंपरा ओडिशा और पूर्वी भारत में विशेष रूप से प्रचलित है। इस दिन अविवाहित लड़कियाँ भगवान कार्तिकेय और चंद्रमा की पूजा करती हैं, अच्छे वर की प्राप्ति और सुखी जीवन की कामना के लिए। पूजा के बाद, लड़कियाँ पारंपरिक गीत गाती हैं और चांद को अर्घ्य देती हैं। शाम को वे विभिन्न खेलों और नृत्य-गानों में भाग लेती हैं, जो इस उत्सव का अभिन्न हिस्सा होते हैं। विवाहित महिलाएँ भी इस दिन अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं। कुमार पूर्णिमा की परंपरा सौंदर्य, प्रेम और समृद्धि के प्रतीक के रूप में मानी जाती है।
Q-4 What to eat in Kumar Purnima? || कुमार पूर्णिमा पर क्या खाएं?
कुमार पूर्णिमा पर पारंपरिक और सात्विक भोजन का विशेष महत्व है। इस दिन ओडिशा और पूर्वी भारत में विशेष रूप से खीर, पूरियाँ, और विभिन्न प्रकार के मिठाइयाँ तैयार की जाती हैं। “चंद्रान्न” नामक प्रसाद, जो चावल और दही से बना होता है, भगवान कार्तिकेय और चंद्रदेव को अर्पित किया जाता है। इसके साथ ही, फलों और मिष्ठानों का भोग लगाया जाता है। इस दिन तामसिक भोजन, जैसे मांसाहार और लहसुन-प्याज का सेवन वर्जित होता है। सात्विक भोजन का सेवन करना शुभ माना जाता है, जिससे शुद्धता बनी रहती है और देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।
Q-5 Which fruits are given on Kumar Purnima? || कुमार पूर्णिमा पर कौन से फल दिए जाते हैं?
कुमार पूर्णिमा के दिन पूजा में फलों का विशेष महत्व होता है। इस दिन भगवान कार्तिकेय और चंद्रदेव को ताजे और शुद्ध फलों का भोग लगाया जाता है। आमतौर पर केला, सेब, नारियल, अनार, अमरूद, और मौसमी फलों का उपयोग किया जाता है। केले को शुभ माना जाता है, इसलिए इसे पूजा में अनिवार्य रूप से शामिल किया जाता है। नारियल भी एक पवित्र फल है जो समृद्धि का प्रतीक है। ये फल भगवान को अर्पित करने के बाद परिवार के सदस्यों में प्रसाद के रूप में वितरित किए जाते हैं, जिससे उनके आशीर्वाद और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
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