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The holy month of Kartik ||पवित्र कार्तिक मास

November 13, 2024 | by cultureodisha.com

कार्तिक ब्रत

The holy month of Kartika: The centre of religious rituals in Odisha || पवित्र कार्तिक मास: ओडिशा के धार्मिक अनुष्ठानों का केंद्र

कार्तिक मास हिंदू चंद्र कैलेंडर का सबसे पवित्र महीना माना जाता है, जो विशेष रूप से ओडिशा के लोगों, विशेषकर महिलाओं और विधवाओं के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। कार्तिक मास का यह संपूर्ण समय धार्मिक अनुष्ठानों, उपवासों और भक्ति में व्यतीत होता है। इसमें मुख्य रूप से ‘हबिशा’, ‘बालुका पूजा’, ‘पंचुका’, ‘कार्तिक पूर्णिमा’, और ‘बोइता बंदना’ जैसे पर्व शामिल हैं। अंग्रेजी कैलेंडर में कार्तिक मास अकसर अक्टूबर और नवंबर के साथ मेल खाता है, जिसमें ओडिशा के भक्तगण भगवान जगन्नाथ और विष्णु-शिव की आराधना में लीन रहते हैं।

कार्तिक ब्रत
कार्तिक ब्रत

Religious and cultural significance of Kartik month || कार्तिक मास का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

कार्तिक मास की धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस महीने में भगवान विष्णु और शिव पृथ्वी पर भ्रमण करते हैं। भगवान शिव ने इसी मास में त्रिपुरासुर का वध कर सृष्टि की रक्षा की थी। वेदों में उल्लेख है कि आषाढ़ एकादशी को भगवान विष्णु शयन करते हैं और कार्तिक शुक्ल एकादशी को जाग्रत होते हैं। इस मास में गंगा नदी के साथ अन्य नदियाँ मिलती हैं, जो गंगा के समान ही पवित्र मानी जाती हैं, इसलिए कार्तिक स्नान को अत्यंत शुभ माना गया है।

Kartik Purnima is associated with the following important events || कार्तिक पूर्णिमा निम्नलिखित महत्वपूर्ण घटनाओं से जुड़ी है:

  • भगवान विष्णु के एक अवतार मत्स्यावतार का जन्म
  • भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय का जन्म
  • तुलसी वृक्ष के साकार रूप वृंदा का जन्म

Habisha and Habisiyali: Restraint and devotion of the devotees || हबिशा और हबीसियाली: भक्तों का संयम और श्रद्धा

कार्तिक मास में भगवान जगन्नाथ के भक्तगण प्रतिदिन सूर्योदय से पहले स्नान कर मंदिर की मंगल आरती में शामिल होते हैं। हबिशा के रूप में एक समय का सादा भोजन ग्रहण करते हैं और संपूर्ण माह संयमित आहार का पालन करते हैं। ‘हबीसियाली’ कहलाने वाले इन भक्तों को विशेष प्रकार के भोजन की अनुमति होती है जिसमें बैंगन, शकरकंद, लौकी, और कुछ विशेष दालों का परहेज किया जाता है। वे अक्सर मंदिर से प्राप्त महाप्रसाद ग्रहण करते हैं या अपने लिए अनुमत भोजन स्वयं बनाते हैं।

Baluka Puja: Worship of Lord Jagannath in the form of Tulsi || बालुका पूजा: तुलसी के रूप में भगवान जगन्नाथ की आराधना

बालुका पूजा कार्तिक माह का एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। इसमें भगवान जगन्नाथ की प्रतीकात्मक आराधना पवित्र तुलसी के पौधे के रूप में की जाती है। इस समय, महिलाएं तुलसी के पौधे की पूजा कर मंगलमय जीवन और समृद्धि की कामना करती हैं।

तुलसी की पूजा
तुलसी की पूजा

Anala Navami(Radha’s feet darshan)||अनला नवमी(राधा पद दर्शन)

Kumar Purnima || कुमार पूर्णिमा

Mahalaya Amavasya || महालया अमावस्या

Raktirtha Eram || रक्ततीर्थ इरम

Dwitiya Osha||द्वितीया ओशा

Panchuka: The sacred significance of the last five days || पंचुका: अंतिम पांच दिनों का पावन महत्व

कार्तिक मास के अंतिम पांच दिन ‘पंचुका’ कहलाते हैं, जिसमें बड़ी संख्या में भक्तगण पुरी में भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने आते हैं। पंचुका के दौरान भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, देवी सुभद्रा, और भगवान सुदर्शन को हर दिन अलग-अलग वेश-भूषा में सजाया जाता है। इस दौरान मंदिर में पूजा-अर्चना के नियमों में विशेष व्यवस्था की जाती है ताकि भक्तजन भगवान के दिव्य रूप का दर्शन कर सकें।

The various disguises of Lord Jagannath and his siblings during Panchuka are as follows || पंचुका के दौरान भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों के विभिन्न वेश इस प्रकार होते हैं:

  • लक्ष्मी-नारायण वेश (कार्तिक शुक्ल एकादशी)
  • बांकाचुडा वेश (कार्तिक शुक्ल द्वादशी)
  • त्रिविक्रम वेश (कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी)
  • लक्ष्मी-नृसिंह वेश (कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी)
  • राजा राजेश्वरी वेश (कार्तिक पूर्णिमा)
The wonderful confluence of Kartik Purnima and Boita Bandana || कार्तिक पूर्णिमा और बोइता बंदना का अद्भुत संगम

कार्तिक मास का अंतिम दिन कार्तिक पूर्णिमा कहलाता है, जो इस माह का सबसे पवित्र दिन होता है। इसी दिन को देव दिवाली के रूप में भी मनाया जाता है, जो देवताओं की बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर, भक्तगण ‘बोइता बंदना’ अनुष्ठान करते हैं। ओडिशा के समुद्री इतिहास को संजोए हुए, इस अनुष्ठान में लोग अपनी हाथों से बनाई गई छोटी नावों को पास के जल में प्रवाहित करते हैं। ये नावें घी, कपूर, दीप, पान, और फूलों से सजी होती हैं। बोइता बंदना ओडिशा के पुराने समुद्री गौरव को जीवंत रखता है और एक दिव्य दृश्य प्रस्तुत करता है जब सैकड़ों छोटी नावें जल में तैरती हैं।

बोइत बंदाण
बोइत बंदाण
Kartik Snan from Scientific Point of View || वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कार्तिक स्नान

विज्ञान के अनुसार, कार्तिक माह के दौरान सूर्योदय से पहले पृथ्वी का पानी अधिक चुंबकीय ऊर्जा से संपन्न होता है, जो शरीर के लिए लाभकारी होता है। सूर्योदय से पहले स्नान करने की यह परंपरा इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी जाती है।

Conclusion || निष्कर्ष

ओडिशा में कार्तिक मास केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि श्रद्धा, संयम और भक्ति का संगम है। यह समय भगवान के प्रति श्रद्धा अर्पित करने का और आत्म-शुद्धि का समय होता है। कार्तिक मास का यह माह जीवन को संयम और त्याग का संदेश देकर मनुष्य को आध्यात्मिकता की ओर प्रेरित करता है। ओडिशा की परंपराओं में गहरे बसे इस माह के धार्मिक अनुष्ठान पीढ़ियों से लोगों के दिलों में बसे हैं और यह राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को अत्यंत गौरवमय बनाते हैं।

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FAQ

Q-1 Why Kartik month is holy month? || कार्तिक माह पवित्र माह क्यों है?

हिंदू धर्म में कार्तिक माह को विशेष रूप से पवित्र माना गया है। इसे भगवान विष्णु और शिव दोनों का प्रिय महीना माना जाता है। आषाढ़ एकादशी पर भगवान विष्णु शयन करते हैं और कार्तिक शुक्ल एकादशी पर जागते हैं, जिसे देव उठनी एकादशी कहते हैं। इस माह में सूर्योदय से पहले स्नान और उपवास का महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, कार्तिक स्नान, तुलसी पूजा, हबिशा, और बालुका पूजा करने से जीवन में सुख और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। यह माह भक्तों को संयम और भक्ति का आदर्श संदेश देता है।

Q-2 What are the benefits of Kartik? || कार्तिक के क्या लाभ हैं?

कार्तिक माह को हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ माना जाता है और इसमें कई आध्यात्मिक व स्वास्थ्य लाभ जुड़े हैं। इस माह में सूर्योदय से पूर्व स्नान करने से शरीर और मन शुद्ध होते हैं और वैज्ञानिक दृष्टि से यह समय जल में चुंबकीय ऊर्जा की अधिकता के कारण स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। कार्तिक उपवास के दौरान हल्का, सात्विक आहार लेने से पाचन तंत्र में सुधार होता है। इस माह में भगवान विष्णु और शिव की आराधना करने से मानसिक शांति मिलती है। कार्तिक पूजा और संयम जीवन में सकारात्मकता और आंतरिक शांति का संचार करते हैं।

Q-3 Why do we celebrate boita bandana? || हम बोइता बंदना क्यों मनाते हैं?

बोइता बंदना ओडिशा का एक सांस्कृतिक पर्व है, जो समुद्री व्यापार की समृद्ध परंपरा को स्मरण करने के लिए मनाया जाता है। प्राचीन काल में ओडिशा के व्यापारी जावा, सुमात्रा और श्रीलंका जैसे दूरस्थ द्वीपों पर व्यापार करने नावों से जाते थे। इस ऐतिहासिक संबंध को संजोए रखने के लिए कार्तिक पूर्णिमा पर लोग छोटी नावें (बोइता) सजाकर उन्हें जल में प्रवाहित करते हैं। यह परंपरा हमें समुद्री व्यापार में ओडिशा की भूमिका और सांस्कृतिक गौरव का अनुभव कराती है। बोइता बंदना का यह त्योहार ओडिशा के लोगों में पुरानी स्मृतियों को जीवंत रखता है और संस्कृति से जोड़े रखता है।

Q-4 What is the meaning of a Ka Ma Boi? || का मा बोई का क्या अर्थ है?

“का मा बोई” ओडिशा में बोइता बंदना के अवसर पर गाया जाने वाला पारंपरिक गीत है। इसमें “का” का अर्थ है “किधर,” “मा” का अर्थ है “हमारी” और “बोई” का अर्थ है “नाव।” इस गीत का संदेश है “हमारी नाव किधर जाएगी?”—जो ओडिशा के प्राचीन समुद्री व्यापार की दिशा और यात्रा का प्रतीक है। यह गीत पुराने समय के व्यापारियों की यात्राओं को दर्शाता है, जब वे अपने साहसी समुद्री अभियानों पर निकलते थे। “का मा बोई” की धुन लोगों में समुद्री गौरव, ऐतिहासिक व्यापार संबंधों और संस्कृति के प्रति गर्व को फिर से जगाती है।

Q-5 What is danga bhasa in odisha? ओडिशा में डंगा भषा क्या है?

बोइता बंदना जिसे डंगा भषा के नाम से भी जाना जाता है, एक पारंपरिक ओडिया त्योहार है जो पूरे ओडिशा में प्रतिवर्ष मनाया जाता है.

Q-6 Why do we celebrate Panchuka? || हम पंचुका क्यों मनाते हैं?

पंचुका ओडिशा में कार्तिक माह के आखिरी पांच दिनों का विशेष धार्मिक पर्व है, जो पूर्णिमा तक मनाया जाता है। इन दिनों को अत्यंत पवित्र माना जाता है, जब भक्त मांसाहार, लहसुन-प्याज और अन्य तामसिक भोजन से परहेज करते हैं। पंचुका के दौरान भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व होता है, और विवाहित महिलाएँ पवित्र तुलसी के पौधे की पूजा कर परिवार की समृद्धि और सुख की कामना करती हैं। पुरी के जगन्नाथ मंदिर में इन दिनों भगवान जगन्नाथ को विशेष वेशभूषा में सजाया जाता है, जिससे हजारों श्रद्धालु आकर दर्शन लाभ लेते हैं।

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