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उत्कल दिवस: तीन दशकों की क्रांति के बाद मिला विशेष ओडिशा

April 1, 2024 | by cultureodisha.com

ऐतिहसिक घोड़ा योद्धा प्रतिमा

ओडिशा का गठन

1 अप्रैल 1936 को, ओडिशा का गठन एक अलग भाषाई प्रांत के रूप में किया गया था। आज ही के दिन ओडिशा को मद्रास प्रेसीडेंसी से अलग कर एक अलग ओडिशा बनाया गया था। उसी याद में हर साल 1 अप्रैल को ओडिशा दिवस या उत्कल दिवस के रूप में मनाया जाता है।

ओडिशा का गठन एक अलग भाषाई प्रांत के रूप में किया गया

ओडिशा की आधिकारिक भाषा

ओडिशा की आधिकारिक भाषा ओड़िया है, जो कि ओडिशा राज्य की जनसंख्या के बहुमत द्वारा बोली और समझी जाती है। यह भाषा ओडिशा की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसका गर्व बनाए रखना चाहिए। ओड़िया भाषा में लेखन, साहित्य, गीत, और नृत्य का विकास हो रहा है, जो इसकी महत्ता को और भी बढ़ाता है। ओडिशा की सांस्कृतिक धरोहर को समझने का माध्यम भी ओड़िया भाषा है।

ओडिशा का इतिहास

ओडिशा का इतिहास अत्यंत रिच है, जिसमें विविधता और सांस्कृतिक धरोहर का विस्तार है। इस राज्य का इतिहास अनेक आवासीय साम्राज्यों, विजयनगर साम्राज्य, मुगल साम्राज्य और ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन रहा है।

1568 में ओडिशा के अंतिम राजा मुकुंददेव की हार और मृत्यु के बाद, इसने अपनी राजनीतिक पहचान पूरी तरह से खो दी। ब्रिटिश शासन से “अलग उत्कल प्रदेश” बनाने के लिए मधुसूदन दास, फकीर मोहन सेनापति, गोपबंधु दास, नीलकंठ दास, गंगाधर मेहर, राधानाथ रे, बासुदेब सुदल देव और कृष्णचंद्र गजपति के प्रयासों से यह आंदोलन फला-फूला। प्रारंभ में ओडिशा का गठन छह जिलों कटक, पुरी, बालासोर, संबलपुर, कोरापुट और गंजाम से हुआ था।

मधुसूदन दास
मधुसूदन दास
गोपबंधु दास
गोपबंधु दास
गंगाधर मेहर
गंगाधर मेहर
ओडिशा की विशेषता

ओडिशा एक ऐतिहासिक राज्य है जो भारत के पूर्वी किनारे पर स्थित है। इसकी विशेषता उसकी विविधता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत में निहित है। ओडिशा का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत समृद्धता से भरा हुआ है, जिसमें प्राचीन मंदिर, उत्कल कला, और परंपरागत नृत्य-संगीत शामिल हैं।

ओडिशा का समृद्ध ऐतिहासिक विरासत यहाँ के प्राचीन मंदिरों के माध्यम से प्रकट होता है, जैसे कि कोणार्क सूर्य मंदिर, जगन्नाथ मंदिर, और राजरानी मंदिर। ये मंदिर विश्व धरोहर के रूप में माने जाते हैं और पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

ओडिशा की भौगोलिक स्थिति भी इसे अनूठा बनाती है। समुद्र तट, घने वन, फैले मृदाबंध, और अनूठे प्राकृतिक सौंदर्य का मिश्रण ओडिशा को विशेष बनाता है।

ओडिशा का खाद्य और साहित्य भी उन्हें अलग बनाते हैं। सांस्कृतिक उत्सव, जैसे कि रथयात्रा, दुर्गा पूजा, और दीवाली, भी इस राज्य के समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रमुख हिस्सा हैं। ओडिशा अपनी अनूठी संस्कृति और परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है और यह भारतीय भूमि की विविधता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

उत्कल दिवस के महत्व

उत्कल दिवस को हर साल 1 अप्रैल को मनाया जाता है, जो ओडिशा के गठन की याद में है। यह दिवस ओडिशा की एकता, साहस, और संघर्ष को सलामी अर्पित करता है।

पद्मश्री सुदर्शन पटनायक द्वारा बनाए गए सैंड आर्ट की बधाई
पद्मश्री सुदर्शन पटनायक द्वारा बनाए गए सैंड आर्ट की बधाई

ओडिशा के विकास और प्रगति

ओडिशा एक विकासशील राज्य है जो आर्थिक, सामाजिक, और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से उच्च मानकों को अपनाने के लिए प्रतिबद्ध है। यहां की सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए नीतियों और योजनाओं को लागू किया है, जिससे राज्य की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके। ओडिशा में शिक्षा, स्वास्थ्य, और जल संरक्षण के क्षेत्र में विशेष ध्यान दिया जा रहा है ताकि राज्य की प्रगति और समृद्धि में सुधार हो सके।

ओडिशा के सांस्कृतिक विरासत

ओडिशा की सांस्कृतिक विरासत उसके विविधता और समृद्धि का प्रतीक है। यहां की कला, संगीत, और वास्तुकला अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ओडिशा के लोक नृत्य ओडिशी, जो अपनी गतिविधि, अद्वितीय अंग, और आड़ में सुन्दरता के लिए प्रसिद्ध है, विशेष महत्व रखते हैं। इसके साथ ही, रथ यात्रा, दुर्गा पूजा जैसे त्योहार ओडिशा की सांस्कृतिक विरासत के महत्वपूर्ण अंग हैं। यहां के मंदिरों और ऐतिहासिक स्थलों की भूमि भी सांस्कृतिक विरासत का अमूल्य हिस्सा है, जो परंपरागत शैली और विविधता का परिचय कराती हैं। ओडिशा की धरोहर में बारंबार जीवन, धर्म, और कला के साथ जुड़े महत्वपूर्ण आयाम होते हैं, जो राज्य की अद्वितीयता को निखारते हैं।

ओडिशी नृत्य
ओडिशी नृत्य भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख नृत्यशैली है

समापन

ओडिशा का गठन एक महत्वपूर्ण पटक है, जो इस राज्य की एकता और समृद्धि को संदर्भित करता है। उत्कल दिवस के माध्यम से, हम ओडिशा की विशेषता और विरासत को समझते हैं और सम्मानित करते हैं। ओडिशा के इस महत्वपूर्ण दिन को मनाकर, हम उसके समृद्धि और उन्नति के लिए आशीर्वाद देते हैं।

इस उत्कल दिवस पर, हमें ओडिशा की रिश्तेदारी और सांस्कृतिक धरोहर को मान्यता देने का समय है। ओडिशा के यहाँ के लोगों की उदारता, साहस, और समर्थन के लिए हम आभारी हैं। ओडिशा के इस महत्वपूर्ण दिन को मनाकर, हम उसकी विशेषता और विरासत को गौरवान्वित करते हैं।

 

ओडिशा संक्षेप में:

  • वैदिक ओडिशा – कृष्ण यजुर्वेद बौधायन कल्पसूत्र (छठी शताब्दी ईस्वी) के अनुसार, कलिंग वैदिक सभ्यता के बाहर एक विशिष्ट सभ्यता थी। इसका कोई आर्य या द्रविड़ नहीं था।
  • पौराणिक ओडिशा – महाभारत के अनुसार यह युद्ध कौरवों की ओर से लड़ा गया था।
  • किंवदंतियों में ओडिशा – कला और वाणिज्य की संस्कृति ने यहां अपना प्रभाव फैलाया। श्रीलंका, जावा, सुमात्रा, बाली, म्यांमार, थाईलैंड, कंबोडिया, वियतनाम, चीन, जापान, कोरिया, मैक्सिको, मिस्र, अरब, इराक जैसी जगहों पर निर्माण-कला और व्यापार-संस्कृति-इतिहास किंग के साथ पाया जा सकता है।
  • केशरी राजवंश की स्थापना 795 ई. में हुई। ययाति केशरी ने राजा, कोसल और उत्तक को एकजुट किया। उसने अपनी राजधानी जाजपुर में स्थापित की।
  • 1078-1434 ई. – अनंतबर्मा के चोडागोंग देव के शासनकाल की शुरुआत।
  • 1078-1150 ई. – चोगोंग देव की राजूति। पुरी श्रीजगन्नाथ मंदिर का जीर्णोद्धार शुरू। कटक नई राजधानी बनी।
  • 1170-1198 ई. – अनंगभीमदेव द्वितीय का शासनकाल प्रारम्भ हुआ। जगन्नाथ मंदिर का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है.
  • 1229 ई. – बारह किले अनंगभीमदेव तृतीय द्वारा बनवाए गए थे।
  • 1238-1264 ई. – लांगुला नरसिंहदेव का शासनकाल। एक कोने का सूर्य-मंदिर बना हुआ है
  • 1568 ई. – उड़ीसा पर बांगर मुस्लिम शासक सुलेमान करानी और उसके कप्तान ‘कालापहाड़’ का कब्ज़ा था।
  • 1576 ई. –उड़ीसा पर मुगलों का कब्ज़ा।
  • 1751 ई. – मराठों का उड़ीसा क्षेत्राधिकार।
  • 1803 ई. – उड़ीसा पर अंग्रेजों का कब्ज़ा।
  • 1912 ई. – बिहार-ओडिशा बंगाल से अलग क्षेत्र बना।
  • 1948 ई. –भुवनेश्वर नई राजधानी है (13 अप्रैल)।

• 1950 ई. – स्वतंत्र भारत में ओडिशा को एक राज्य के रूप में मान्यता दी गई।

 

FAQ

Q-1 ओडिशा स्थापना दिवस क्या है?

ओडिशा स्थापना दिवस ओडिशा राज्य की स्थापना के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह दिन 1 अप्रैल को मनाया जाता है और ओडिशा की स्थापना की तारीख को याद करता है। इस दिन के अवसर पर, लोग विभिन्न आयोजनों और समारोहों में भाग लेते हैं। ओडिशा की विशेषता, सांस्कृतिक विरासत, और ऐतिहासिक महत्व को यह दिन उजागर करता है। लोग परंपरागत वस्त्र पहनते हैं, नृत्य और संगीत का आनंद लेते हैं, और ओडिशा की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को सम्मानित करते हैं।

Q-2 ओडिशा किस वर्ष एक राज्य बना?

ओडिशा, पूर्वी भारत में स्थित एक राज्य है, जिसकी स्थापना 1 अप्रैल 1936 को की गई थी। इस समय से ओडिशा एक स्वतंत्र राज्य के रूप में विकसित हुआ है और अपनी संविधानिक स्थिति को बनाए रखता है।

Q-3 उड़िया का पुराना नाम क्या है?

उड़िया का पुराना नाम “ओड़िया” है, जो कि ओडिशा राज्य की भाषा है। इस भाषा को ओडिशा के साथ गहरा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जड़ों का प्रतीक माना जाता है, और इसका उपयोग भाषा, साहित्य, और कला में किया जाता है।

Q-3 ओडिशा को उत्कल क्यों कहा जाता है?

ओडिशा को “उत्कल” कहा जाता है क्योंकि इसका नाम “उत्कल” या “उत्कल देश” के रूप में प्रसिद्ध था। इस नाम का अर्थ है “उत्तम कला” या “उत्कृष्ट कला”, जो ओडिशा की समृद्ध सांस्कृतिक और कला विरासत को दर्शाता है।

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