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Anala Navami(Radha’s feet darshan)||अनला नवमी(राधा पद दर्शन)

November 9, 2024 | by cultureodisha.com

राधा पद दर्शन

Radha Pada Darshan on Anala Navami at Sakhigopal Temple: A Rare Occasion of Religious Traditions || साखीगोपाल मंदिर में अनला नवमी पर राधा पद दर्शन: धार्मिक परंपराओं का एक दुर्लभ अवसर

साखीगोपाल मंदिर में अनला नवमी का पर्व राधा पद दर्शन के रूप में प्रसिद्ध है, जो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। इस दिन देवी राधा के चरणों के दर्शन किए जा सकते हैं, जो पूरे वर्ष में केवल एक बार संभव होता है। राधा को इस दिन विशेष पारंपरिक उड़िया वेशभूषा में सजाया जाता है, और हजारों भक्त इस दुर्लभ दर्शन के लिए मंदिर में आते हैं। मान्यता है कि इस दिन राधा के चरणों के दर्शन और आंवले के पेड़ की पूजा करने से जीवन में सौभाग्य आता है।

राधा पद दर्शन
राधा पद दर्शन

कार्तिक पुराण के अनुसार, भगवान विष्णु की परम भक्त वृंदावती तीन पवित्र पौधों में परिवर्तित हो गईं, जिन्हें अत्यंत श्रद्धा से पूजा जाता है। ये तीन पौधे हैं मालती, तुलसी और आंवला। इसलिए, पूरे कार्तिक माह में विशेष रूप से आंवले की पूजा की जाती है। खासतौर पर अनला नवमी के दिन, आंवले के पेड़ को जगत धात्री, यानी धरती माता का प्रतीक मानकर उसकी उपासना की जाती है। कार्तिक मास के व्रत और अनुष्ठान करने वाले लोग इस दिन विशेष रूप से आंवले के पेड़ की पूजा करते हैं, जिससे उन्हें विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।

Kumar Purnima || कुमार पूर्णिमा

Mahalaya Amavasya || महालया अमावस्या

Raktirtha Eram || रक्ततीर्थ इरम

Dwitiya Osha||द्वितीया ओशा

Anant Brat || अनंत व्रत

 

The Story is || कहानी है:

वृंदा की मृत्यु से भगवान विष्णु अत्यंत व्यथित हो गए। उन्होंने उसकी चिता से राख लेकर उसे अपने शरीर पर लगाया और शोक में व्याकुल होकर इधर-उधर विचरने लगे। विष्णु की यह दशा देखकर देवता चिंतित हो उठे और भगवान शिव के पास जाकर उनसे विष्णु की इस मानसिक पीड़ा को दूर करने की विनती की। शिव ने उन्हें देवी पार्वती के पास जाने का सुझाव दिया। देवताओं ने पार्वती से सहायता की प्रार्थना की, जिससे प्रसन्न होकर देवी पार्वती ने लक्ष्मी और सरस्वती की सहायता से देवताओं को कुछ बीज दिए। देवताओं ने उन बीजों को वृंदा की चिता पर छिड़का, जिसके परिणामस्वरूप तीन पवित्र पौधे—आंवला, तुलसी, और मालती—प्रकट हुए। ये पौधे वैकुंठ में वृंदा की आत्मा के आशीर्वाद के प्रतीक माने गए और विष्णुलोक भेजे गए।

It is celebrated as Anala Navami (Radha Pada Darshan) in the Gopinath temple of Sakhigopal.  || साखीगोपाल के गोपीनाथ मंदिर में अनला नवमी (राधा पद दर्शन) के रूप में मनाया जाता है।

देवी राधा को पूरे वर्ष साड़ियों और आभूषणों से अलंकृत रखा जाता है, जिससे उनके चरण सदैव ढके रहते हैं। केवल अनला नवमी के पावन दिन ही भक्तों को उनके चरणों के दर्शन करने का सौभाग्य मिलता है, जिसे राधा पद दर्शन के नाम से जाना जाता है। इस अवसर पर देवी को पारंपरिक ओडिया वेशभूषा में सजाया जाता है। देवी के चरणों का यह दुर्लभ दर्शन हजारों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है, और इस दिन यहां विशाल मेले का आयोजन होता है। मान्यता है कि साखीगोपाल मंदिर के दर्शन किए बिना पुरी में जगन्नाथ मंदिर की तीर्थयात्रा अधूरी मानी जाती है। साखीगोपाल मंदिर, जो पुरी जिले के साखीगोपाल नगर में स्थित है, जगन्नाथ मंदिर का लघु रूप माना जाता है। यहां के मुख्य देवता साक्षी-गोपाल भगवान गोपीनाथ (गोपाला) का स्वरूप हैं, जिन्हें कांची से ओडिशा लाकर साखीगोपाल में स्थापित किया गया था।

साखीगोपाल मंदिर
साखीगोपाल मंदिर

कुछ लोगों का मानना है कि भगवान श्रीकृष्ण के परपोते वज्रनाभ ने व्रज मंडल में दो गोपाल मूर्तियाँ स्थापित की थीं, जिन्हें साक्षी-गोपाल और मदन गोपाल (मदन मोहन) के नाम से जाना जाता है। साक्षी-गोपाल की मूर्ति एक आदमकद गोपाल स्वरूप है, जो वृंदावन से दक्षिण भारत के विद्यानगर तक पहुंची थी। यह नगर गोदावरी नदी के किनारे स्थित है और राजमुंदरी से लगभग 20 से 25 मील की दूरी पर है।

साखीगोपाल का अर्थ है ‘साक्षी के रूप में गोपाल’। बाद में, जयदेव द्वारा रचित गीत गोविंद के प्रभाव से लोग राधा-कृष्ण की संयुक्त मूर्ति को पूजने लगे, जिसे ‘जुगलमूर्ति’ कहा जाता है। इसी के अनुरूप, पुरी जिले के रानपुर के राजा ने भगवान कृष्ण के साथ देवी राधा की एक मूर्ति अर्पित की। भगवान कृष्ण की मूर्ति की ऊंचाई 5 फीट है, जबकि देवी राधा की ऊंचाई 4 फीट से थोड़ी अधिक है। 1939 से इस मंदिर का प्रबंधन ओडिशा सरकार द्वारा किया जा रहा है। मंदिर के पीछे एक सुंदर वन क्षेत्र भी है, जिसमें कई औषधीय और दुर्लभ पौधे पाए जाते हैं। यहां सत्यवादी बकुल वन (पंचसखा) भी स्थित है।

How to reach Sakhigopal Temple || कैसे पहुंचे साखीगोपाल मंदिर?

साखीगोपाल मंदिर भुवनेश्वर और पुरी के बीच स्थित है और आसानी से टैक्सी, बस या ट्रेन द्वारा पहुँचा जा सकता है। साक्षी गोपाल रेलवे स्टेशन से मंदिर तक पहुंचना आसान है।

Conclusion || उपसंहार

अनला नवमी पर राधा पद दर्शन, भक्तों के लिए आध्यात्मिक उन्नति और दुर्लभ दैवीय अनुभव का प्रतीक है। यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि सांस्कृतिक परंपराओं को भी संजोता है, जो ओडिशा के भक्तों और यात्रियों को गहराई से प्रभावित करता है। इस पवित्र अवसर पर आंवले के पेड़ की पूजा और राधा पद दर्शन, भक्तों के लिए देवी का आशीर्वाद प्राप्त करने का अनमोल अवसर बन जाते हैं।

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FAQ

Q-1 What is the significance of Amla Navami? || आंवला नवमी का महत्व क्या है?

आंवला नवमी का पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है, क्योंकि इसे जीवनदायिनी औषधि के रूप में माना जाता है। आंवला स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होने के साथ धार्मिक दृष्टि से भी पवित्र है। मान्यता है कि इस दिन आंवला वृक्ष के नीचे पूजा करने से परिवार में सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य का वास होता है। आंवला नवमी का पर्व भक्तों को प्रकृति से जुड़ने और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करने का संदेश भी देता है।

Q-2 What to do on amla navmi?|| आंवला नवमी पर क्या करें?

आंवला नवमी के दिन धार्मिक और स्वास्थ्यवर्धक परंपराओं का पालन करना शुभ माना जाता है। इस दिन आंवले के वृक्ष के पास जाकर उसकी पूजा करें, क्योंकि इसे देवी लक्ष्मी का वास स्थान माना जाता है। पूजा में जल, कुमकुम, फूल, और धूप-दीप का उपयोग करें। परिवार के साथ आंवला वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन करने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और पारिवारिक संबंध मजबूत होते हैं। इस दिन आंवले का सेवन अवश्य करें, क्योंकि यह सेहत के लिए लाभकारी होता है। आंवला नवमी पर्यावरण और स्वास्थ्य संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने का भी अवसर है।

Q-3 Why do people worship Amla tree?|| लोग आंवले के पेड़ की पूजा क्यों करते हैं?

हिंदू धर्म में आंवले के पेड़ को विशेष धार्मिक और औषधीय महत्व प्राप्त है। माना जाता है कि आंवला वृक्ष में भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का निवास होता है, इसलिए इसकी पूजा करने से सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, आंवला को अमृत फल कहा गया है, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है। आंवले के सेवन से इम्यूनिटी बढ़ती है और कई बीमारियों से बचाव होता है। आंवला नवमी के दिन इसकी पूजा करने से न केवल आध्यात्मिक लाभ होते हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति भी जागरूकता बढ़ती है।

Q-4 Which God likes Amla?|| किस भगवान को आंवला पसंद है?

हिंदू धर्म में आंवला को विशेष महत्व दिया गया है, खासकर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के संदर्भ में। मान्यता है कि आंवला भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है, क्योंकि यह फल अमृत के समान है और इसे भगवान विष्णु के आभूषणों में भी शामिल किया जाता है। साथ ही, देवी लक्ष्मी के भी आंवले के प्रति विशेष आशीर्वाद होते हैं। आंवला के सेवन से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य लाभ होता है, बल्कि भगवान विष्णु और लक्ष्मी की कृपा भी मिलती है। आंवला पूजा से घर में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है।

Q-5What is Radha Pada darshan?|| राधा पद दर्शन क्या है?

राधा पद दर्शन एक महत्वपूर्ण धार्मिक और आध्यात्मिक परंपरा है, जो मुख्य रूप से भक्तिमार्गियों द्वारा मनाई जाती है। यह पर्व राधा रानी के चरणों की पूजा और उनके प्रति भक्ति को दर्शाता है। राधा के चरणों का महत्व हिंदू धर्म में अत्यधिक है, क्योंकि उन्हें भगवान श्री कृष्ण की साकार शक्ति और उनकी सच्ची भक्तिमूर्ति माना जाता है। राधा पद दर्शन के दिन भक्त राधा रानी के चरणों का दर्शन करने के लिए विशेष पूजा और अनुष्ठान करते हैं, जिससे उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह दिन भक्ति, प्रेम और आस्था की अभिव्यक्ति है।

 

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