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Bada Osha|| बड़ा ओशा

November 14, 2024 | by cultureodisha.com

बाबा धबलेश्वर

Famous Festival of Odisha – Bada Osha || ओडिशा का प्रसिद्ध त्यौहार – बड़ा ओशा

ओडिशा राज्य में स्थित भगवान महादेव का पवित्र धबलेश्वर मंदिर, राज्य के निवासियों और श्रद्धालुओं के बीच अत्यधिक प्रसिद्ध है। यहाँ कार्तिक माह में मनाया जाने वाला “बड़ा ओशा” का त्यौहार एक पवित्र उपवास का प्रतीक है, जिसे पूरी श्रद्धा से मनाया जाता है।

बाबा धबलेश्वर
बाबा धबलेश्वर

Religious significance of Bada Osha || बड़ा ओशा का धार्मिक महत्व

बड़ा ओशा मुख्य रूप से ओडिशा में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व है। यह भगवान शिव की भक्ति और आराधना के लिए समर्पित होता है, और इस दौरान श्रद्धालु कठोर उपवास रखते हैं। भगवान शिव से कृपा और समृद्धि की प्राप्ति के लिए प्रार्थना की जाती है। यह पर्व ओडिशा की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर में एक विशेष स्थान रखता है, जिसमें कई विशेष परंपराएँ और अनुष्ठान निभाए जाते हैं।

Place of Bada Osha in the traditions of Odisha || ओडिशा की परंपराओं में बड़ा ओशा का स्थान

ओडिशा, अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और विविधता के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ विभिन्न धर्मों, मंदिरों, और धार्मिक स्थलों का मेल देखने को मिलता है। यहाँ के कई त्यौहार उत्तर भारत के त्यौहारों से मिलते-जुलते हैं, परंतु इनके नाम और रीति-रिवाज अलग होते हैं।

The glory of Dhabaleswar Temple and Bada Osha || धबलेश्वर मंदिर और बड़ा ओशा की महिमा

धबलेश्वर मंदिर में कलिंग और द्रविड़ स्थापत्य शैली का मिश्रण देखने को मिलता है। मुख्य गर्भगृह (गर्भगृह) में शिवलिंग है, जो भगवान शिव का प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व है। स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार, धबलेश्वर मंदिर हिंदू महाकाव्य रामायण से राक्षस राजा रावण की कहानी से जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि रावण ने दिव्य आशीर्वाद पाने के लिए इसी स्थान पर भगवान शिव की पूजा की थी। अपने धार्मिक महत्व के अलावा, धबलेश्वर मंदिर महानदी नदी और उसके आसपास के परिदृश्य के लुभावने दृश्य प्रस्तुत करता है। मंदिर में बहुत से पर्यटक न केवल इसके आध्यात्मिक माहौल के लिए आते हैं, बल्कि इस स्थान की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेने के लिए भी आते हैं।

The holy month of Kartik ||पवित्र कार्तिक मास

Anala Navami(Radha’s feet darshan)||अनला नवमी(राधा पद दर्शन)

Kumar Purnima || कुमार पूर्णिमा

Mahalaya Amavasya || महालया अमावस्या

Raktirtha Eram || रक्ततीर्थ इरम

Gaja bhog is offered|| गज भोग चढ़ाया जाता हैं

इस दिन की विशेषता भगवान धबलेश्वर मंदिर के मुख्य अनुष्ठान और प्रसिद्ध ‘गज भोग’ प्रसाद के साथ और भी बढ़ जाती है। गजभोग और तराना भगवान का सबसे पसंदीदा प्रसाद है जिसे पुजारी समुदाय द्वारा तैयार किया जाता है। गजभोग और तराना पूरे राज्य में भक्तों के बीच वितरित किए जाते हैं। गज भोग सफेद रसगुल्ले जैसा दिखता है और यह मीठा व्यंजन भगवान धबलेश्वर से संबंधित है। ओडिया में धबल का मतलब सफेद होता है। चावल, आटा, नारियल, गुड़ और इलायची से बना ‘गज भोग’ भगवान शिव को चढ़ाया जाता है और भक्तों में बांटा जाता है। लाखों भक्त धबलेश्वर मंदिर और हर भगवान शिव मंदिर में आते हैं।

गज भोग
गज भोग

चूंकि गुजरात के मोरबी शहर में पैदल यात्री सस्पेंशन ब्रिज के ढहने के बाद महानदी नदी पर एक असुरक्षित सस्पेंशन ब्रिज के कारण जिला प्रशासन ने धारा 144 लागू कर दी है, इसलिए बड़ा ओशा मनाने वाले भक्त वर्चुअल मोड पर भगवान शिव के दिव्य बड़ा सिंघारा बेशा के दर्शन कर सकते हैं।

पद्म पुराण के अनुसार, भगवान इंद्र ने भगवान ब्रह्मा के श्राप से मुक्ति के लिए कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान धबलेश्वर से प्रार्थना की थी और महानदी में पवित्र स्नान किया था। हर साल पंचुका के दौरान, भक्त भगवान के दर्शन के लिए अपने नजदीकी भगवान शिव मंदिर में उमड़ पड़ते हैं।

Major Rituals of Bada Osha || बड़ा ओशा के प्रमुख अनुष्ठान

  1. उपवास: बड़ा ओशा के दौरान भक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं और जल तक ग्रहण नहीं करते।
  2. प्रार्थना और अनुष्ठान: भक्त मंदिर में जाकर भगवान शिव का अभिषेक करते हैं और दूध, जल, एवं विभिन्न प्रकार के प्रसाद चढ़ाते हैं।
  3. भजन और कीर्तन: भगवान शिव की आराधना में भक्त मंदिरों और घरों में भजन-कीर्तन करते हैं, जिससे भक्तिमय वातावरण बनता है।
  4. विशेष प्रसाद: गज भोग और तराना का प्रसाद भगवान शिव को अर्पित किया जाता है। यह प्रसाद भक्तों में बांटा जाता है।
  5. दीप प्रज्वलन और परिक्रमा: शिवलिंग की परिक्रमा और दीप प्रज्वलन अनुष्ठान का हिस्सा होता है।
  6. समुदायिक आयोजन: बड़ा ओशा का पर्व सामुदायिक मिलन का भी प्रतीक है, जिसमें लोग मंदिरों और सामुदायिक स्थलों पर एकत्र होते हैं।
  7. दान: इस दिन पर दान का विशेष महत्व होता है। भक्त जरूरतमंदों में भोजन, कपड़े और अन्य आवश्यक चीजों का दान करते हैं।
दीप प्रज्वलन
दीप प्रज्वलन

Mythological stories associated with Bada Osha || बड़ा ओशा से जुड़ी पौराणिक कथाएँ

राजा नल और देवी पार्वती की कथा: एक कथा के अनुसार, राजा नल ने अपने दुखों से मुक्ति पाने के लिए बड़ा ओशा के दिन भगवान शिव की आराधना की थी। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर देवी पार्वती प्रकट हुईं और राजा नल के सभी कष्ट हर लिए।

Conclusion || निष्कर्ष

बड़ा ओशा पर्व ओडिशा की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं का जीवंत उदाहरण है। यह त्यौहार न केवल श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह समाज में सामूहिकता, सेवा, और दान की भावना को भी बढ़ावा देता है। इस पवित्र पर्व के माध्यम से भक्त भगवान शिव से आशीर्वाद और समृद्धि की कामना करते हैं, जो उनकी धार्मिक आस्था को और भी दृढ़ बनाता है।

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FAQ

Q-1 What is Bada OSHA in Odisha?|| ओडिशा में बड़ा ओशा क्या है?

बड़ा ओशा ओडिशा का एक प्रसिद्ध धार्मिक त्योहार है, जो भगवान शिव को समर्पित है और धबलेश्वर मंदिर में विशेष रूप से मनाया जाता है। कार्तिक महीने की चौदहवीं तिथि पर मनाए जाने वाले इस त्योहार में भक्त उपवास रखते हैं और भगवान शिव की कृपा पाने के लिए प्रार्थना करते हैं। इस दिन का विशेष आकर्षण ‘गज भोग’ का प्रसाद है, जो भगवान को अर्पित किया जाता है और भक्तों में वितरित होता है। भक्त मंदिर में शिवलिंग पर जल और दूध चढ़ाते हैं, दीप जलाते हैं, और भगवान शिव की स्तुति में भजन गाते हैं, जिससे पूरे क्षेत्र में भक्ति का माहौल बनता है।

Q-2 Why is Bada OSHA celebrated?|| बड़ा ओशा दिवस क्यों मनाया जाता है?

बड़ा ओशा दिवस ओडिशा में विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा और उपवास के लिए मनाया जाता है। इस दिन को कार्तिक महीने की चतुर्दशी पर धबलेश्वर मंदिर में भव्यता से मनाया जाता है। माना जाता है कि इस व्रत को रखने से भगवान शिव अपने भक्तों को सुख, समृद्धि और आशीर्वाद प्रदान करते हैं। यह त्योहार शिवभक्ति, समर्पण, और आस्था का प्रतीक है।

Q-3 What is Gaja bhog || गजभोग क्या है?

गजभोग ओडिशा में बड़ा ओशा त्योहार का विशेष प्रसाद है, जो भगवान शिव को अर्पित किया जाता है। इस मीठे व्यंजन का निर्माण चावल, नारियल, गुड़, और इलायची जैसे पारंपरिक सामग्रियों से होता है, जो इसे स्वादिष्ट और पवित्र बनाते हैं। गजभोग को सफेद रंग का माना जाता है, जिससे इसे भगवान शिव के ‘धबलेश्वर’ रूप से जोड़ा गया है, क्योंकि ओडिया में “धबल” का अर्थ सफेद होता है। इस प्रसाद को विशेष रूप से धबलेश्वर मंदिर में तैयार कर भक्तों में वितरित किया जाता है। भक्त इसे भगवान शिव की कृपा का प्रतीक मानते हैं और श्रद्धापूर्वक ग्रहण करते हैं।

Q-4 Why is the Dhabaleswar Temple famous?|| धबलेश्वर मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?

धबलेश्वर मंदिर ओडिशा के कटक के पास महानदी नदी के द्वीप पर स्थित भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर है, जो अपनी आध्यात्मिक और स्थापत्य सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर भगवान शिव के ‘धबलेश्वर’ रूप को समर्पित है, जो सफेद शिवलिंग के कारण प्रसिद्ध हुआ। यहां हर साल विशेष रूप से बड़ा ओशा और महाशिवरात्रि के अवसर पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, रावण ने इस स्थान पर भगवान शिव की आराधना की थी। कलिंग और द्रविड़ वास्तुकला के संगम से बना यह मंदिर आध्यात्मिक अनुभव के साथ प्राकृतिक दृश्य भी प्रस्तुत करता है।

Q-5 How old is the dhabaleswar temple? || धबलेश्वर मंदिर कितना पुराना है?

धबलेश्वर मंदिर ओडिशा का एक प्राचीन शिव मंदिर है, जिसकी उत्पत्ति के सटीक समय का उल्लेख नहीं मिलता, लेकिन इसकी ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता सदियों पुरानी है। स्थानीय लोककथाओं के अनुसार, इस मंदिर का संबंध रामायण काल के रावण से है, जिन्होंने यहां भगवान शिव की आराधना की थी। इस मंदिर का वास्तुशिल्प कलिंग और द्रविड़ शैली का अद्भुत मिश्रण है, जो इसे ओडिशा की धरोहरों में विशेष स्थान देता है। कालांतर में इस मंदिर का पुनर्निर्माण हुआ, लेकिन इसका आध्यात्मिक महत्व और श्रद्धा आज भी भक्तों को आकर्षित करती है, जो इसे एक ऐतिहासिक धरोहर मानते हैं।

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