February 26, 2025 | by cultureodisha.com
महाशिवरात्रि, जिसे “शिव की पावन रात्रि” के रूप में जाना जाता है, ओडिशा में अत्यंत श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाने वाला एक प्रमुख धार्मिक उत्सव है। यह पर्व भगवान शिव, जो विनाश, पुनर्जन्म और दिव्य ज्ञान के प्रतीक हैं, को समर्पित है। यह त्योहार भक्तों को आध्यात्मिक जागरण, आत्मशुद्धि और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है।
महाशिवरात्रि हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन (फरवरी-मार्च) माह की 13वीं या 14वीं रात्रि को पड़ती है। इस शुभ अवसर पर उपवास, प्रार्थना, धार्मिक अनुष्ठान और भगवान शिव की आराधना प्रमुख रूप से की जाती है। श्रद्धालु इस दिन पूरी निष्ठा के साथ व्रत रखते हैं, जिससे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होने की आशा रहती है।
शिवरात्रि ओडिशा के सभी शिव मंदिरों में मनाई जाती है। क्योंकि लिंगराज, लिंगों के राजा हैं, इसलिए विशेष रूप से भुवनेश्वर स्थित प्रसिद्ध लिंगराज मंदिर में महाशिवरात्रि धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन हजारों श्रद्धालु पारंपरिक वेशभूषा में मंदिरों में एकत्रित होते हैं और भगवान शिव के लिंगम पर पुष्प, फल, दूध, शहद और बिल्व पत्र अर्पित करते हैं। भक्तगण भजन और मंत्रोच्चारण के माध्यम से देवता की स्तुति करते हैं, जिससे संपूर्ण वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर उठता है।
महाशिवरात्रि की रात को जागरण करना ओडिशा की एक प्रमुख परंपरा है। भक्त पूरी रात मंदिरों में जाकर दर्शन करते हैं, भक्ति गीत गाते हैं और विशेष अनुष्ठानों में भाग लेते हैं। यह पर्व भगवान शिव और देवी पार्वती के विवाह की पौराणिक कथा से भी जुड़ा हुआ है, जिसे प्रतीकात्मक रूप से अनुष्ठानों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से दर्शाया जाता है। ओडिशा के पारंपरिक नृत्य जैसे ओडिसी, गोटीपुआ और छऊ इस उत्सव की भव्यता को बढ़ाते हैं।
Samant Chandrasekhar ||सामंत चंद्रशेखर
Manbasa Gurubar ||माणबसा गुरुबार
महाशिवरात्रि में उपवास का विशेष महत्व होता है। भक्त इस दिन पूर्ण उपवास रखते हैं, जिसमें वे भोजन और जल का त्याग कर भगवान शिव की आराधना करते हैं। कुछ श्रद्धालु कठोर उपवास रखते हैं, जबकि अन्य फल, दूध या उपवास के विशेष भोज्य पदार्थों का सेवन कर उपासना करते हैं। यह आत्मसंयम और त्याग की प्रक्रिया शरीर और मन को शुद्ध करने का एक साधन मानी जाती है।
ओडिशा में महाशिवरात्रि के अवसर पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। श्रद्धालु भगवान शिव और देवी पार्वती के विवाह का मंचन करते हैं, जिससे यह त्योहार और भी भव्य प्रतीत होता है। भक्ति संगीत, नृत्य प्रदर्शन और शिव-पार्वती विवाह से संबंधित नाट्य प्रस्तुतियाँ इस पर्व को धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध बनाती हैं।
महाशिवरात्रि केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक जागरण का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह त्योहार जाति, पंथ और सामाजिक विभाजनों से ऊपर उठकर सभी को एक समान भाव से भगवान शिव की आराधना करने का अवसर प्रदान करता है। ओडिशा में महाशिवरात्रि न केवल भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि यह आध्यात्मिक एकता और भगवान शिव की असीम कृपा को प्राप्त करने का भी एक महत्वपूर्ण माध्यम है।
FAQ
Q-1 What is Mahashivaratri in Odisha? || ओडिशा में महाशिवरात्रि क्या है?
महाशिवरात्रि ओडिशा में श्रद्धा, भक्ति और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम है। यह पर्व फाल्गुन माह की कृष्ण चतुर्दशी को भगवान शिव की आराधना में मनाया जाता है। विशेष रूप से भुवनेश्वर के लिंगराज मंदिर में हजारों श्रद्धालु भगवान शिव का जलाभिषेक, रात्रि जागरण और मंत्रोच्चार करते हैं। उपवास, भजन, नृत्य और पारंपरिक अनुष्ठानों के माध्यम से यह उत्सव दिव्यता से भर जाता है। यह दिन शिव और शक्ति के मिलन का प्रतीक है, जो भक्तों को आत्मशुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का अवसर प्रदान करता है। महाशिवरात्रि ओडिशा की समृद्ध धार्मिक परंपरा का प्रमुख पर्व है।
Q-2 When is Mahashivaratri celebrated in Odisha?|| ओडिशा में महाशिवरात्रि कब मनाई जाती है?
ओडिशा में महाशिवरात्रि हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है, जो आमतौर पर फरवरी या मार्च में आती है। इस शुभ रात्रि को भक्तगण उपवास रखते हैं, मंदिरों में पूजा-अर्चना करते हैं और भगवान शिव का रात्रि जागरण करते हैं। यह पर्व शिव और शक्ति के दिव्य मिलन का प्रतीक है, जो आध्यात्मिक उन्नति और आत्मशुद्धि का अवसर प्रदान करता है। ओडिशा में यह त्योहार भव्यता से मनाया जाता है।
Q-3 How is Mahashivaratri celebrated in Odisha? || ओडिशा में महाशिवरात्री कैसे मनाई जाती है?
ओडिशा में महाशिवरात्रि भक्ति, श्रद्धा और भव्य अनुष्ठानों के साथ मनाई जाती है। भक्त उपवास रखते हैं और रात्रि जागरण कर भगवान शिव की आराधना करते हैं। मंदिरों में हजारों श्रद्धालु एकत्रित होकर जल, दूध, शहद और बिल्व पत्र से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। मंदिरों में विशेष पूजा और शिव-पार्वती विवाह अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं। संध्या समय महादीप अर्पण की परंपरा पूरी होती है। भक्तजन भजन-कीर्तन, नृत्य और आध्यात्मिक प्रवचनों में भाग लेते हैं। यह पर्व ओडिशा में आध्यात्मिक जागरण, संयम और ईश्वरीय आशीर्वाद प्राप्त करने का विशेष अवसर प्रदान करता है।
Q-4 What is the reason behind Mahashivratri?|| महाशिवरात्रि के पीछे क्या कारण है?
महाशिवरात्रि हिंदू धर्म में एक पवित्र पर्व है, जिसे भगवान शिव की आराधना के लिए मनाया जाता है। इस दिन के पीछे कई पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं। एक मान्यता के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का दिव्य विवाह संपन्न हुआ था। दूसरी कथा के अनुसार, शिव ने समुद्र मंथन से उत्पन्न विष को ग्रहण कर संसार को विनाश से बचाया था। यह दिन आत्मशुद्धि, मोक्ष प्राप्ति और ईश्वरीय कृपा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। भक्त उपवास रखते हैं, जागरण करते हैं और शिवलिंग का अभिषेक कर शिव की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
Q-5 Are there any unique traditions or customs associated with Mahashivaratri in Odisha? || क्या ओडिशा में महाशिवरात्रि से जुड़ी कोई अनोखी परंपरा या रीति-रिवाज हैं?
ओडिशा में महाशिवरात्रि से जुड़ी कई अनोखी परंपराएँ हैं, जिनमें “जागरा यात्रा” सबसे प्रमुख है। इस परंपरा के अनुसार, श्रद्धालु पूरी रात जागकर भगवान शिव की उपासना करते हैं और भक्ति गीत गाते हैं। भुवनेश्वर के लिंगराज मंदिर में महादीप अनुष्ठान होता है, जिसमें मंदिर के शिखर पर एक विशाल दीप प्रज्ज्वलित किया जाता है। व्रत, जलाभिषेक और शिव तांडव स्तोत्र के पाठ की परंपरा भी इस दिन विशेष रूप से निभाई जाती है।
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