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सुनिया, ओडिशा का एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत ही समृद्ध है। इस त्यौहार का न केवल आध्यात्मिक महत्व है बल्कि इसका संबंध ओडिशा के शाही और प्रशासनिक इतिहास से भी जुड़ा हुआ है।
सुनिया शब्द की उत्पत्ति को लेकर दो प्रमुख मत हैं। पहले मत के अनुसार, ‘सुनिया‘ शब्द का गठन ‘सु-‘ उपसर्ग से हुआ है, जिसका अर्थ है ‘अच्छा’, और ‘निया’, जिसका अर्थ है ‘लेना’। इस शब्द का सीधा अर्थ है ‘अच्छी शर्तों पर लेना और देना’, जो अतीत में राजस्व संग्रह और राजा तथा प्रजा के आपसी संबंधों को दर्शाता है। इस दिन प्रजा अपने बकाया का भुगतान खुशी-खुशी करती थी और राजा इस प्रक्रिया से संतुष्ट होते थे। कुछ लोग राजा को अपनी श्रद्धा व्यक्त करने के लिए उपहार भी देते थे।
दूसरा मत यह मानता है कि सुनिया राजा इंद्रद्युम्न की जन्म तिथि से जुड़ा हुआ है। हालांकि, इस मत के पीछे ठोस कारण का अभाव है, इसलिए इसे कम समर्थन प्राप्त है।
सुनिया का त्योहार भाद्रपद शुक्ल पक्ष द्वादशी के दिन मनाया जाता है, जिसे वामन द्वादशी के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु ने वामन रूप में अवतार लिया था। इसके साथ ही, भगवान विष्णु इस दिन अपनी निद्रा से करवट बदलते हैं, जो शुभ समय की शुरुआत का संकेत है। इसलिए, यह दिन शुभ कार्यों की शुरुआत के लिए अत्यधिक अनुकूल माना जाता है।
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ओडिशा के शाही इतिहास में सुनिया का विशेष महत्व है। पुरानी परंपराओं के अनुसार, पुरी के राजा इस दिन ‘अभिषेक’ नामक विशेष समारोह के साथ नए साल की घोषणा करते थे। इस दिन को प्रशासनिक वर्ष की शुरुआत के रूप में मान्यता प्राप्त थी। राजा इस अवसर पर नए सोने के सिक्कों की शुरुआत, राजस्व संग्रह और अन्य प्रशासनिक कार्य करते थे। इसके साथ ही, नए अभियानों की तैयारी भी इसी दिन शुरू की जाती थी।
सुनिया का महत्व केवल शाही परिवारों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आम लोगों के लिए भी नया साल लेकर आता है। विभिन्न व्यवसायों के लोग इस दिन को अपने नए कार्यों की शुरुआत के लिए शुभ मानते हैं और आने वाले वर्ष में सफलता और समृद्धि की उम्मीद करते हैं।
जबकि 1 जनवरी को वैश्विक नया साल और मध्य अप्रैल में महा विशुव संक्रांति के दिन को स्थानीय नया साल के रूप में मनाया जाता है, सुनिया ओडिशा का अपना एक विशिष्ट नया साल है। यह न केवल कैलेंडर से जुड़ा हुआ है, बल्कि ओडिशा की धार्मिक, सांस्कृतिक और शाही परंपराओं के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है।
सुनिया ओडिशा का एक विशेष त्योहार है जो न केवल शाही इतिहास और प्रशासनिक कार्यों से जुड़ा हुआ है, बल्कि यह धार्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इस दिन का हर क्षेत्र में महत्व है, चाहे वह शाही परंपराएँ हों या आम जनता के कार्य। ओडिशा के विभिन्न हिस्सों में सुनिया को नया साल मानकर इस दिन को उत्सवपूर्वक मनाया जाता है।
FAQ
Q-1 What is the Sunia festival? || सुनिया त्यौहार क्या है?
सुनिया ओडिशा का एक प्रमुख हिंदू त्यौहार है, जो धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व से भरपूर है। यह त्यौहार भाद्रपद शुक्ल पक्ष द्वादशी के दिन मनाया जाता है, जिसे वामन द्वादशी भी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु वामन अवतार में आते हैं और अपनी निद्रा से करवट बदलते हैं, जो शुभ समय की शुरुआत का संकेत है। सुनिया का नाम “सु-” और “निया” से बना है, जिसका अर्थ है ‘अच्छी शर्तों पर लेना और देना’। इस दिन प्रजा खुशी से राजस्व देती थी और राजा इस पर प्रसन्न होते थे।
Q-2 What is sunia? || सुनिया क्या है?
सुनिया ओडिशा का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से विशेष माना जाता है। यह भाद्रपद शुक्ल पक्ष द्वादशी के दिन मनाया जाता है, जिसे वामन द्वादशी भी कहते हैं। “सुनिया” शब्द का अर्थ ‘अच्छी शर्तों पर लेना और देना’ होता है, जो अतीत में राजा और प्रजा के बीच राजस्व संग्रह से जुड़ा था। यह दिन शुभ कार्यों की शुरुआत के लिए अनुकूल माना जाता है। ओडिशा के इतिहास में सुनिया का महत्व राजाओं के प्रशासनिक कार्यों, नए साल की घोषणा और प्रजा के प्रति राजा के संबंधों से जुड़ा हुआ है।
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