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Raktirtha Eram || रक्ततीर्थ इरम

September 28, 2024 | by cultureodisha.com

रक्ततीर्थ इरम

Raktirtha Eram: The Land of Sacrifice || रक्ततीर्थ इरम: बलिदान की धरती

ओडिशा के भद्रक जिले में स्थित इरम एक ऐतिहासिक बलिदान स्थल है, जो देश की स्वतंत्रता संग्राम की गाथाओं का साक्षी रहा है। यह स्थान बसुदेवपुर से लगभग 16 किमी दूर स्थित है और इसकी प्राकृतिक सीमाओं ने इसे एक दुर्जेय किला बना दिया था। स्वतंत्रता सेनानियों के लिए यह स्थान अंग्रेजों से लड़ने का मुख्य केंद्र था, जहां उन्होंने अपने साहस और बलिदान का परिचय दिया।

रक्ततीर्थ इरम
रक्ततीर्थ इरम

Natural protection and geographical location || प्राकृतिक सुरक्षा और भौगोलिक स्थिति

इरम की भौगोलिक स्थिति इसे एक महत्वपूर्ण स्थल बनाती है। इसके चारों ओर बंगाल की खाड़ी और गमेये एवं कंसाबंसा नदियों ने इसे तीन तरफ से घेर रखा है। इस प्राकृतिक सुरक्षा ने स्वतंत्रता सेनानियों को सुरक्षित स्थान प्रदान किया था। इन प्राकृतिक सीमाओं के कारण प्रशासन और पुलिस के लिए यहां प्रवेश करना कठिन था। उत्तर-पूर्व में स्थित एक द्वार ही इस मैदान का मुख्य मार्ग था, जिसे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी सभाओं और आंदोलनों के लिए उपयोग किया।

Centre of Freedom Struggle || स्वतंत्रता संग्राम का केंद्र

1920 से लेकर भारत छोड़ो आंदोलन तक, इरम का मैदान स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण केंद्रों में से एक था। उत्कलमणि गोपबंधु दास और उत्कल केसरी डॉ. हरेकृष्ण महताब जैसे प्रमुख नेताओं ने यहां से गांधीवादी विचारधारा का प्रचार किया। स्वतंत्रता सेनानी इस स्थान पर एकत्र होकर विदेशी शासकों के खिलाफ अपनी आवाज़ उठाते थे और इस भूमि को बलिदान के प्रतीक के रूप में मानते थे।

Dwitiya Osha||द्वितीया ओशा

Anant Brat || अनंत व्रत

Suniya – An important festival of Puri Dham||सुनिया – पुरी धाम का एक महत्वपूर्ण त्यौहार

Khudurukuni Osha || खुदुरकुनी ओषा

Sri Sri Thakur Anukulchandra || श्री श्री ठाकुर अनुकूलचंद्र

The Unpleasant Incident of 28 September 1942 || 28 सितम्बर 1942 की अप्रिय घटना

28 सितम्बर 1942 को, भारत छोड़ो आंदोलन के समय, इस स्थल पर एक बड़ी जनसभा का आयोजन किया गया। लेकिन इस सभा से घबराकर बसुदेवपुर थाने के डीएसपी कुंजाबिहारी मोहंती के नेतृत्व में पुलिस बल ने इस मैदान पर धावा बोल दिया। जलियांवाला बाग की तरह, उन्होंने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर अंधाधुंध गोलियां चला दीं। तीन तरफ से घिरे इस मैदान से कोई भी बचकर नहीं निकल पाया, और इस गोलीबारी में 28 लोग मारे गए और 56 घायल हुए। घायलों में से एक व्यक्ति बाद में शहीद हो गया। इस घटना में परी बेवा नाम की महिला भी शामिल थी, जिन्हें ओडिशा की एकमात्र महिला शहीद के रूप में याद किया जाता है।

सहीद स्मृति फलक
सहीद स्मृति फलक

Second Jallianwala Bagh: Bloodshed Iram || दूसरा जलियांवाला बाग: रक्ततीर्थ इरम

यह भयंकर घटना इरम को भारत का दूसरा जलियांवाला बाग बना गई। इस मैदान को अब ‘रक्ततीर्थ’ के रूप में जाना जाता है, जहां बलिदानियों का खून देश की स्वतंत्रता के लिए बहा। इस भूमि का महत्व न केवल ओडिशा बल्कि पूरे भारत के इतिहास में अमर है।

Conclusion || निष्कर्ष

इरम, जिसे ‘रक्ततीर्थ’ के नाम से भी जाना जाता है, स्वतंत्रता संग्राम के वीर बलिदानों की धरती है। यहां की बलिदानी घटनाओं ने देश के स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी और यह स्थल आज भी उस समय के वीरों की याद को जीवित रखे हुए है। इस भूमि पर बहा रक्त भारत की स्वतंत्रता की नींव में गहराई से समाहित है।

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FAQ

Q-1 What is the massacre of Iram?|| इरम का नरसंहार क्या है?

इरम का नरसंहार 28 सितंबर 1942 को ओडिशा के भद्रक जिले में हुआ एक दर्दनाक घटना है, जो भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान घटित हुई। स्वतंत्रता सेनानी शांतिपूर्ण विरोध कर रहे थे जब बसुदेवपुर थाने के डीएसपी कुंजाबिहारी मोहंती ने जलियांवाला बाग की तरह निहत्थे लोगों पर गोलियां चलवा दीं। इस गोलीबारी में 28 लोग मारे गए और 56 घायल हुए। घटना के बाद, इरम को “रक्ततीर्थ” और “भारत का दूसरा जलियांवाला बाग” के रूप में जाना जाने लगा। यह नरसंहार भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में साहस और बलिदान का प्रतीक है।

Q-2 Which place is known as Rakta Tirtha?|| कौन सा स्थान रक्त तीर्थ के नाम से जाना जाता है?

ओडिशा के भद्रक जिले में स्थित इरम को “रक्त तीर्थ” के नाम से जाना जाता है। यह स्थान 28 सितंबर 1942 को हुए भयानक नरसंहार का साक्षी है, जब भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान पुलिस ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाईं। इस घटना में 28 लोग मारे गए, और कई घायल हुए। इरम की इस घटना को जलियांवाला बाग की तरह माना गया, जिससे इसे “भारत का दूसरा जलियांवाला बाग” कहा जाने लगा। आज, यह स्थल स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान और साहस का प्रतीक है, जिसे सम्मानपूर्वक रक्त तीर्थ कहा जाता है।

Q-3 How many people died in the Eram massacre?|| इरम नरसंहार में कितने लोग मारे गए?

इरम नरसंहार 28 सितंबर 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान ओडिशा के भद्रक जिले में हुआ था। इस घटना में ब्रिटिश पुलिस ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे स्वतंत्रता सेनानियों पर गोलियां चला दीं। तीन तरफ से घिरे मैदान में कोई भी बच नहीं सका, और इस गोलीबारी में 28 लोग मौके पर ही मारे गए जबकि 56 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों में से एक और व्यक्ति बाद में शहीद हो गया। इस घटना में परी बेवा नाम की महिला शहीद भी शामिल थीं, जिससे इराम को “रक्त तीर्थ” के नाम से जाना जाता है।

Q-4 When were most Indians killed?|| सर्वाधिक भारतीय कब मारे गए?

भारतीय इतिहास में सबसे बड़ा नरसंहार 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग में हुआ था। उस दिन, ब्रिटिश ब्रिगेडियर जनरल रेगिनाल्ड डायर ने अमृतसर में शांतिपूर्ण सभा पर गोलियां चलाने का आदेश दिया। निहत्थे और निर्दोष लोगों पर की गई इस क्रूर कार्रवाई में 1000 से अधिक भारतीय मारे गए और सैकड़ों घायल हुए। जलियांवाला बाग हत्याकांड ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नया मोड़ दिया और ब्रिटिश शासन के खिलाफ आक्रोश बढ़ाया। इस घटना ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे देशभर में ब्रिटिश शासन के प्रति विरोध और तेज हो गया।

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